Profiles/रूपरेखा
1. जिज्ञासु :( Inquirer) विद्यार्थी में अज्ञात विषय जानने ,समझने तथा पढ़ने की उत्कंठा का
होना आवश्यक है। जिन विद्यार्थियों मे अज्ञात विषय को जानने की
लालसा होती है वे ही उस विषय को सीख पाते हैं।
2. सुविज्ञ :(Knowledgeable) विद्यार्थी में भाषा सीखने और उसे अपने व्यवहार में लाने की उत्सुकता
का होना अतिआवश्यक है।सीखे हुए ज्ञान को अपने व्यवहारिक जीवन में
लाने से ही विषय का ज्ञान बढ़ता है।
3. विचारक :(Thinkers) विद्यार्थी को यदि भाषा सीखनी है तो उसे दूसरों पर निर्भर न रहकर
स्वयं को स्वावलंबी बनाना होगा। स्वावलंबी विद्यार्थी ही भाषा की
बारीकियों को सीख सकता है।
4. संचारक: (Communicators) भाषा शिक्षण में विचारों के आदान-प्रदान हेतु संप्रेषण कौशल का होना
अनिवार्य है।
5. सिद्धान्तवादी :( Principled) विद्यार्थियों को यदि भाषा सीखनी है तो उन्हें भाषा - शिक्षण
सिद्धान्तों का पालन करना होगा। भाषा शिक्षण के सिद्धान्तों के पालन
से भाषा शिक्षण और निखरता है।
6. उदार ह्रदयी बनें : (Open minded)विद्यार्थियों को यदि भाषा सीखना है तो उन्हें समय -समय पर
एक दूसरे के साथ बिना किसी संकोच के एक दूसरे के साथ
विचार विमर्श करते रहना चाहिए ।
7. स्नेह्रदयी बनें :( Caring) भाषा सीखने वालों को सदा प्रोत्साहित करें उन की त्रुटियों पर व्यंग
न करें बल्कि उन्हें सुधारने का प्रयास करते रहें । स्नेह और
प्रोत्साहन से कोई भी कठिन से कठिन भाषा भी सीखी जा सकती
है।
8. संकट -संघर्ष : (Risk -Taker)विद्यार्थी को भाषा अध्ययन में आए संकटों का सामना करने पर ही
भाषा का उचित ज्ञान प्राप्त होगा।
9. सुसंतुलित : ( Balanced )विद्यार्थी को भाषा शिक्षण में समस्त कौशलों का संतुलन बनाए रखना
अत्यावश्यक है। सभी प्रकार के कौशलों के प्रयोग से भाषा शिक्षण
निखरता है।
10. आत्मनिरीक्षण : ( Reflective )विद्यार्थियों को समय-समय पर स्वयं ही निष्पक्ष रूप से अपने
ज्ञान का निरीक्षण करते रहना चाहिए। स्वयं निरीक्षण से विद्यार्थी
अपना भाषा कौशल सुधार सकते हैं।
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