Followers

Thursday, September 30, 2010

बन्धन

घर के बन्धन तोड़कर , निकले इस मोड़ पर
देखो इन दीवानों को , देखो इन मस्तानो को

                             घर के बंधन तोड़कर , प्यार का बंधन जोड़कर
                              मस्ताने निकल आए आज अपनी राह पर .
न घर का पता न मंजिल का
ये घर से बेगाने होकर चले आए .
                             
                          घर के बन्धन तोड़कर , निकले इस मोड़ पर

                          देखो इन दीवानों को , देखो इन मस्तानो को

लगी जो एक लगन , खिल गए देखो चमन ,
आज  झूमे इनकी मस्ती में,धरती और गगन
अरे देखो इन दीवानों को ,देखो इन मस्तानों को

                                 हंसते हुए दिलों को आंसूं देकर आओगे?
                                 बहते हुए  आंसुओं पर क्या तुम अपना घर बसाओगे .?
                                 टूटे दिलों कि आहें लेकर क्या तुम ख़ुशी से जी पाओगे?

घर के बन्धन तोड़कर , निकले इस मोड़ पर
देखो इन दीवानों को , देखो इन मस्तानो को


                             माना कि जीवन में हर चीज़ पानी ज़रूरी है
                            जिसको तुमने चाह ,उसकी खातिर  हो गए दीवाने ,

राह हो जीने की या पढने की  या हो सच्चाई पर चलने की
जीवन की राह पर तुम  हार न जाना ,सच्चाई की  राह से कभी दूर न जाना .
                         
                              घर के बन्धन तोड़कर , निकले इस मोड़ पर
                               देखो इन दीवानों को , देखो इन मस्तानो को

Monday, September 13, 2010

तितली रानी

       तितली रानी तितली रानी
       सुंदर -सुंदर पंख तुम्हारे
       इतने सुंदर पंख लाई कहाँ से ,


जब तुम फूलों पर मंडराती हो 
फूलों का रस ले जाती हो

       चुपके से तुम मेरी बगीया के फूलों का रस ले जाती हो
       फूलों के रस का क्या तुम अपने घर पर  शहद बनती हो,

होते पंख अगर मुझको भी
मैं भी फूलों पर संग तुम्हारे मंडराता
                                     लेकर फूलों से सुन्दर -सुंदर रंग
                                    मैं भी अपने सपनों को खूब सजाता

तितली रानी तितली रानी
फूल -फूल पर तुम मंडराती हो ,

Thursday, September 9, 2010

मोर


     
देखो मोर नाच रहा है
पंखों को खोल रहा है
        नाच इसका सबको भाता
       जब यह पंखों की छतरी  फैलाता

   

          काले -काले बदल इसको भाते
          देख इन्हे यह पिहू -पिहू का गीत सुनाता



सुनकर इसके गीतों को
  बरखा रानी आती मस्ती में

Monday, September 6, 2010

मैं बड़ा हो गया हूँ

मैं तुम्हें याद आता हूँ ,
जब हम साथ नहीं होते.
मैं बड़ा हो रहा हूँ इतनी जल्दी
देखो तो ज़रा मैं कितना बड़ा हो गया हूँ .
       पकड़कर  हाथ तुम्हारा चलना सीखा
      लो आज मैं दौड़ रहा हूँ
      जबसे मैने चलना सीखा ,
      अब तक बहुत बदल गया हूँ .
साल महीने गुजर  गए
देखो मैं बड़ा हो गया
देखोगे जब तुम मुझको
सोचोगे  यह कब हुआ .
     दीवार पर टंगी मेरी तस्वीर है
     एक नज़र उसे देख लेना
    देखकर  तस्वीर तुम्हे याद मेरी आएगी
    जब मैं छोटा था , तुम्हारी गोदी मैं सोता था .