हिंद देश के निवासियो सुनो ज़रा
क्या कह रही है माँ वसुंधरा पुकार कर।
देश है बांटा , जात है बांटी
बांट लिया धर्म और ईमान को
मत बांटो अपने आप को धरम और ईमान के नाम पर
कहता नहीं धर्म कोई भी कि बांटो तुम इन्सानों को
सभी धर्मों का एक की सार,मानव का हो मानव से प्यार
मत बांटो इन्सानों को धर्म और ईमान के नाम पर।।
न रोको जीवन की इस पावन धारा को
मानव सेवा ही है माधव सेवा समझो इस बात को
सरिता करती कभी न भेद अपना जल देने में
सूरज करता कभी न भेद अपनी रोशनी देने में
न किया कभी चाँद ने भेद चाँदनी देने में
फिर क्यों करते हो तुम भेद इन्सानों में
मत बांटो इन्सानों को धर्म और ईमान के नाम पर।।
न रंगो माँ वसुंधरा के तन को उसी के सपूतों के लहु से
बेटे चाहे कितने भी हो सब होते हैं माँ को प्यारे
करती कभी न भेद माता अपने बच्चों में
फिर क्यों करते हो तुम भेद इन्सानों में
मत बांटो इन्सानों को धर्म और ईमान के नाम पर।।
हिन्दु, हो या मुस्लिम, हो या हो सिख, ईसाई
लहु-लहु में कोई भेद नहीं सब के सब है भारतवासी
भारतीयता हो हमारी पहचान भारत माता है हमारी शान
हिंद देश के निवासियो सुनों जरा
क्या कह रही है माँ वसुंधरा पुकार कर।।
bahut sundar kavita hai.
ReplyDeleteहिन्दीकुंज
धन्यवाद
ReplyDeletebahut accha hai sir. insan ko apni kavita dvara bhed bhav mitane ke liye bahut sundar tareeke se bataya tha. mughe bahut pasand aaya ye kavita.
ReplyDeleteHATS OF SHIVA SIR...
aur kuch padhne ke liye intazar kar rahi hoo sir.
ravali