कर्मवीर बन ए इन्सान
कर्मभीरु न बन ए इन्सान।
जो कर्मवीर है वही भाग्यवान है
जो कर्महीन है वह भाग्यहीन है।
कर्म ही भाग्य का निर्माता है
कर्म के बल से तू पहाड़ों को भी झुका दे
सच्चाई की राह पर तू चलता जा ।
लाख बाधाएँ आए राह में
तू अपना लक्ष्य साधे चल
देख बाधाओं को तू अपना लक्ष्य छोड़ न देना
सच्चाई की राह तो तू छोड़ न देना।
मंजिल उसे ही मिलती है जो अपनी राह बनाता है
न सोच कि राह में क्या मिलेगा तुझे
मन में अपने मंजिल पाने की ललक जगाले तू
कर्मवीर बनकर अपनी मंजिल को पा ले तू।।
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