मुझसे मिलने कब तुम आते हो प्यारे
कहाँ छिपाकर रखें तुमको प्यारे।
कितने युग बीत गए एक इंतजार में तुम्हारे,
तुम्हारे चरणों की ध्वनि सुनकर हम आए।
चुपके से क्यों मेरे हृदय में आ गए
मन की इस पीड़ा को क्यों तुम जगा गए।
आने वाले ए अजनबी मेरे मन के कौने- कौने में बस जा,
बस कर मेरे मन की गहराई में मुझ में तू समाजा
तेरे जाने की खबर से मन मेरा थर-थर है कांपे।
मुझसे मिलने कब तुम आते हो प्यारे
कहाँ छिपाकर रखें तुमको प्यारे।
मानो आज हुआ है उसका अहसास
जो था अब ख्वाबों मे अब हुआ उसका अहसास
तुम्हारे मृदु तन की शोभा से विकसित हो गया मेरा अहसास
आने से तुम्हारे मन के फूलों का हो गया विकास।
मुझसे मिलने कब तुम आते हो प्यारे
कहाँ छिपाकर रखें तुमको प्यारे।
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