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Friday, March 12, 2010

हत्यारा

अच्छा माँ मैं खेत कू जा रह्रो हूँ।
रामू की आवाज सुनकर माँ ने आवाज लगाते हुए कहा
“अरे भइया कुछ खा लेतो , खाली पेट खेतन पर काम करैगो।”
“ना माँ रोटी तू खेतन पर ही ले अइयों वहीं खा लुंगा”- कहकर रामू बैलों की जोडी को खूंटे से खोलकर चलने लगा तो माँ एक गिलास में छाछ और गुड़ की डरी लेकर आ गई। रामू माँ के हाथ से छाछ लेकर पी लेता है । जैसे सी वह चलने लगता है वैसे ही उसकी छोटी बहन शीला उसके पास आकर उसके साथ चलने का आग्रह करने लगती है । रामू शीला से कहता है कि आज वह उसके साथ न चले बल्कि घर पर ही रहकर माँ के कामों में उसका हाथ बटाए । बैलों को हांकता हुआ वह खेतों की तरफ चला गया । आज न जाने क्यों घर से निकते ही उसका जी कुछ घबरा रहा था , किसी अनहोनी की आशंका सी महसूस होने लगी । वह बैलों को हांकता हुआ खेतों तक जा पहुँचा, बैलों को शीसम के पेड़ के नीचें बाँधकर वह खेतो का पहरा लगाने चला गया । खेत में मक्का लहरा रही है। खेत में पानी लगाना है और एक -दो खेत में मक्का की नराई करनी है । आज रामू खेत पर कुछ जल्दी ही आ गया था , पहरा लगाने के बाद खेत के कामों में लग गया । खेत पर काम करने वाले मजदूर कुछ देर से आए । मजदूरों के आने से पहले रामू ने मक्का के खेत की एक क्यारी नरा दी थी । मजदूरों के आने के बाद वह उस खेत को देखने चला गया जिस खेत में पानी चल रहा था । एक क्यारी भरी , दूसरी क्यारी भरी, तीसरी भरी इसी तरह पूरे खेत की मक्का को पानी लगा दिया था । घर से आए हुए उसे काफी देरी हो चुकी थी अभी तक उसकी माँ और बहनें खाना लेकर नहीं आर्इं थी । समय धीरे-धीरे बीतता जा रहा था , समय के साथ- साथ रामू की भूख भी बढ़ती जा रही थी । आज वह बिना कुछ खाए ही खेतों पर चला आया था । खाना लाने में इतनी देरी कभी नहीं हुई थी।खाने का इन्ताजार करते -करते सुबह से दोपहर हो चकी थी किन्तु माँ अभी तक खाना लेकर नहीं आई थी । वह खेतों में काम कर रहा था किन्तु उसकी नजरे गाँव से आने वाले रास्ते पर ही टिकी हुई थी । बार -बार वह यही सोच रहा था कि माँ अभी तक खाना लेकर क्यों नहीं आयी । जैसे -जैसे दिन बढता जा रहा था रामू की भूख बढ़ती जा रही थी। यहाँ तक कि खेत पर आए मजदूर अपने दोपर का भोजन खा-पीकर आराम करने के लिए पेड़ों की छाँव में लेट गए थे, किन्तु रामू को विश्राम कहां वह तो गाँव से आने वाली सड़क पर ही निगाहें लगाए बैठा था । रह -रह कर उसे माँ पर क्रोध आ रहा था कि अगर माँ किसी काम की वजह से नहीं आ सकी तो कम से कम बहन को ही खाना लेकर भेज देती थी। रामू पेड़ के नीचे बैठा सोच ही रहा था कि उसकी नजर गाँव से आनेवाली सड़क पर पड़ी एक आदमी दौड़ा हुआ आ रहा था उसने गौर से देखा वह आदमी उसी तरफ दौड़ा हुआ आ रहा था । रामू के पास आकर हाँफते - हाँफते बोला - रामू भैया गजब हो गया । गजब होने की बात सुनकर रामू का दिल बैठा जा रहा था । उसने पूछा “हरिया आखिर बात क्या है? क्या गजब हो गया ?, सब ठीक तो है ? तुम इतने घबराए हुए क्यों हो? कुछ बोलते क्यों नहीं ?”हरिया ने हाँफते हुए कहा कि आज सुबह जब उसकी माँ और छोटी बहन नदी पारवाले खेतो पर उसके पिता को रोटी देने गई तो किसी ने उन दोनों का कत्ल कर दिया है। माँ और बहन के कत्ल होने की खबर सुनकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा । माँ - बेटी के कत्ल की खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई । जिसने भी कत्ल के बारे में सुना काम छोड़कर भागा चला आया । रामू जिस खेत में काम कर रहा था उस खेत से दूसरे खेत की दूरी काफी थी। खबर सुनते ही वह खेत की तरफ दौड़ा, खेत नदी के उस पार था । रामू दौड़ता जाता और रोता जाता, भागते - भागते उसे ठोकर लगी , ठोकर लगने के कारण उसके घुटनों में चोट लग गई और खून बहने लगा । उसे अपनी चोट की परवाह नहीं थी उसे तो होश ही नहीं था कि उसके पैरों से खून भी बह रहा है। माँ और बहन को याद कर रोता हुआ दौड़े जा रहा था। गिरते -पड़ते आखिर उस खेत में पहुँच गया जहाँ माँ और बहन का कत्ल हुआ था । माँ और बहन के शवों को देखकर वह सन्न रह गया उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था आखिर यह हो क्या गया ? काफी देर तक वह माँ और बहन के शवों को निहारता रहा उसे लग रहा था कि जो कुछ वह देख रहा है सब गलत है । खेत लोगों से खचाखच भरा हुआ था । एक तरफ माँ और छोटी बहन का शव पड़ा था, दूसरी तरफ परिवार के लोग शवों के पास बैठे विलाप कर रहे थे । इस भयानक चीत्कार के वातवरण में हर कोई सहमा हुआ था । माँ -बेटी के शवों को देखकर लग रहा था कि जैसे वे मरी नहीं हो,सो रही हो ,लग रहा था कि वे अभी थोड़ी देर में खड़ी होंगी और सबसे बातें करने लगेंगी, और दोनों खड़ी होकर रामू को गले से लगा लेंगी। हाय ! रे विधाता ऐसा हो न सका ?
माँ-बेटी की हत्या किसने की और क्यों की ? यह सबसे बड़ा रहस्य था। कोई कहता आतंकवादियों ने की होगी माँ-बेटी की हत्या ,कोई कहता डाकुओं ने की होगी तो कोई कुछ और जिसने भी इनकी हत्या की थी बड़ी ही बेरहमा से की थी। दोनो के गले कटे हुए थे । गले काटे भी तो किससे खेत काटनेवाले दराँत से । दोनों के गले के बीच का हिस्सा काटकर निकाल लिया था । हत्यारे को जरा भी दया नहीं आई, किस प्रकार तड़प रहीं होगी जब उसने दोनों माँ-बेटी के गलों को काटा होगा। उनके गले में खेत काटने का दरांत लगाया होगा और वह मासूम बच्ची जिसके अभी खेलने-कूदने के दिन थे उस मासूम बच्ची का कत्ल करते हुए उसके हाथ नहीं कांपे होंगे, कितनी तड़पी होंगी वह मासूम ..........ऐसा तो कोई कसाई भी नहीं करता जैसा उस हैवान ने किया था । उन शवों को देखकर वहाँ खड़े सभी के रोंगटे खड़े हो गए। रामू माँ - बहन के शवों के पास जा बैठा और माँ का सिर अपनी गोद में रखकर उससे बातें करने लगा । माँ तू यहाँ च्यों सो रही है ? देखियो तो सब जने तोय लैने के लइंयाँ आए हैं। सब लोग कह रहे हैं कि “तुम मर चुकी हैं नही ना ? ये सब लोग झूठ कह रहै हैं ना माँ ? तू तो कह रही थी कि आज तू जल्दी खेतन पै रोटी लैके आएगी ? तू मेरे लिए रोटी लाने वाली थी ना.........? तोय तो पतोए कि मैने सबेरे ते कुछ ना खायो देख न । खेतन पै तेरी रोटिन को ही इंतजार कर रह्रों और तू है कि यहाँ सोई हुई है चल अब उठ ..... माँ रोटी लैके आएगी तू तो यहाँ सो रही है चल अब उठ घर चल । अरे ! छुटकी तू क्यों सो रही है? यहाँ से उठ घर चल ? तू तो अपने भैया के संग खेतन पर चलने वाली थी ना? चल उठ खेतनपर चलते हैं, देख अब और मत सता । देखियो अम्मा (दादी)- माँ मेरी बात ना सुन रही । तू ही माँ ते घर चलने की कह । माँ तेरी बात कभी ना टारैगी, कह ना? कि उठे और घर चलै। मोय बहोत जोर की भूख लगी है ,घर चलके मोए रोटी खबाए । देखियो मैने सुबह ते कुछ ना खायो । मैं खेतन पै रोटीन को इंतजार कर रह्रो और माँ है कि उठने को नाम ही ना लै रही अम्मा कछु कह ना माँ ते, तू रो च्यों रही है । एक बार कह तो सही माँ ते गू तेरी बात कभी ना टारैगी । ए छुटकी चल तू तो उठजा, देख आज से तू जैसो कहेगी तेरो गि भईया वैसो ही करैगो तोए खेतन पै चलनो ना, तो चल अब ते मैं तोते कभी पढने की भी ना कहुँगो ना ही काई काम की कहुँगो पर तू चल तो सही, चल अब उठ देख ..............।”रामू की बातों से लग रहा था जैसे माँ-और बहन की मृत्यु देखकर वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा हो ,वह पागल हो गया हो । उसकी दादी ने उसे अपनी गोद में भरा और उसे सीने से लगाकर समझाया कि जिनसे वह बातें कर रहा है अब वे इस दुनिया में नहीं हैं। वे हम सब को छोड़कर जा चुकी हैं। अब वे उसकी किसी भी बात का जवाब नहीं देंगी । यह सुनकर रामू अपने होशोहवाश खो बैठा , बेहोश हो गया । गाँववालो ने पानी लाकर उसके मुँह पर डाल तो उसे होश आया , होश में आते ही माँ और बहन के शवों से लिपटकर फफक-फफकर खूब रोया .............। परिवार से सभी लोग वहाँ थे लेकिन रामू का पिता मोहनलाल वहाँ पर कहीं नजर नहीं आ रहा था । जब रामू ने देखा कि उसका पिता वहाँ नहीं है तो वह अपने पिता को खोजने लगा उसे लगा कि कही माँ-और बहन की तरह पिता का भी तो कहीं........? हड़बड़ाता हुआ वहाँ से उठा और पागलों की तरह खेत में ढूंढने लगा । उसे ऐसा करते देखकर लोगों को लगा कि रामू इस सदमें से पागल हो गया है, किन्तु जैसे ही उसने अपने पिता को आवाज लगाई तो लोगों को लगा कि वह अपने पिता को खोज रहा है।एक किसान हरिया ने बताया कि उसने मोहनलाल को गाँव की तरफ जाते हुए देखा था, हरिया ने यह भी बताया कि उसने बच्ची के रोने-चिल्लाने की आवाज सुनी थी लेकिन उसे लगा कि शायद हो सकता है माँ ने किसी बात पर थप्पड़ मार दिया होगा सो बच्ची रो रही है । यह सुनकर कुछ लोग गाँव की तरफ भागे उसके पिता को लाने के लिए । लोगों ने पूरा गाँव छान मारा किन्तु मोहनलाल का कहीं कोई अता- पता नहीं चला । एक व्यक्ति शहर से आ रहा था उसने गाँवालों को इधर-उधर भागते हुए देखा तो उसने कुछ लोगों से उस अफरा-तफरी की वजह पूछी ,पता चला कि मोहनलाल की पत्नी और बेटी का किसी ने कत्ल कर दिया है और ये लोग मोहनलाल को ही खोज रहे हैं। उसने बताया कि कुछ देर पहले ही उसने मोहन लाल को शहर की तरफ जाते हुए देखा था । मोहनलाल के शहर में होने की खबर सुनकर कुछ लोग शहर की ओर दौड़े ,वहाँ से उसे लाए । जब मोहनलाल को इस बात की जानकारी दी गई कि उसकी बेटी और पत्नी की कत्ल हो गया है तो मोहनलाल ने कहा कि उसे इस बात की कोई जानकारी ही नहीं है कि ऐसी कोई घटना घटित हुई है। कुछ समय पहले ही तो वह अपनी पत्नी और बच्ची को सही सलामत छोड़कर खेतो के लिए खाद लेने शहर गया था। जैसे ही उसने अपनी पत्नी और बेटी के शव देखे वह ज़मीन पर धम्म से गिर पड़ा और शवों से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा। इधर कत्ल की बात पोलिस तक भी पहुँच चुकी थी। कत्लों की जानकारी पाकर पोलिस भी वहाँ पहुँच चुकी थी । पोलिस ने दोनों शवों को अपने कब्जे में ले लिया । वहाँ से भीड़ को बाहर भगाया और खेत को पूरी तरह सील कर दिया । खेत में खोज अभियान चलाया गया कि हत्यारे ने जिस हथियार से हत्याएं की है कहीं वे हथियार इसी खेत में तो नही छिपा रखे । पोलिस ने घर के प्रत्येक सदस्य के कत्ल के सिलसिले में पूछताछ की। पोलिस ने घरवालों से पूछा कि कही आप लोगो को किसी पर शक तो नहीं है । आप लोगों की किसी से दुश्मनी तो नहीं थी आदि बातें । घरवालों ने बताया कि उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता और ना ही हमें किसी पर शक है । दोनों माँ-बेटी यहाँ मोहनलाल को खाना देने आर्इं थी । रही बात हमारी किसी से दुश्मनी की तो आप किसी भी गाँववाले से पूछ ले अगर हमारी किसी से कोई दुश्मनी हो तो। साहब हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है। ना ही हमें किसी पर शक है। पोलिस गाँव के लोगों से पूछताछ कर रही थी । जब पोलिस मोहनलाल से पूछताछ कर रही थी तो उसे मोहनलाल पर कुछ शक लगा । शक के आधार पर मोहनलाल को पोलिस ने गिरफ्तार कर लिया और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया । मोहनलाल के साथ-साथ पोलिस तीन-चार लोगों को भी शक के आधार पर गिरफ्तार कर थाने ले गयी। पोलिस की जांच -पड़ताल में वे तीन-चार किसान निर्दोष पाए गए जिन्हें पोलिस कत्ल के समय खेत से गिरफ्तार करके लायी थी किन्तु पोलिस का शक मोहनलाल पर बढ़ता ही जा रहा था । शक बढ़ने का कारण उसके बदलते बयान कभी वह कुछ कहता कभी कुछ जब पोलिस ने उसके साथ सख्ती की तो उसने सारा मामला बता दिया कि उसी ने अपनी पत्नी और बेटी का कत्ल किया था । जब पोलिस ने कत्ल की बजह जानी तो वे लोग भी कत्ल की वजह जानकर दन्न रह गए। उसने बताया कि वह गाँव की किसी और स्त्री से प्रेम करने लगा था और उसके प्रेम प्रसंग के बारे में उसकी पत्नी को पता चल गया था । जिस स्त्री से वह प्रेम करता था वह उसकी ज़िन्दगी में तभी आ सकती थी जब वह अपनी पहली पत्नी और बच्चों को छोड़कर उसके पास आकर रहने लगे। चार- चार जवान बच्चों का बाप होने के कारण वह ऐसा नहृ कर सकता था । वह अपने बच्चों को भी छोड़ना नहीं चाहता था । वह चाहता था कि पत्नी के साथ-साथ दूसरी स्त्री भी उसकी ज़िन्दगी में रहे । जब उसकी पत्नी को इस प्रेम प्रसंग की जानकारी मिली तो उसने इस पर आपत्ती जताते हुए यह बात घर के बड़े लोगों को बताने की कही तो उसने उसे बहुत समझाया कि वह ऐसा न करे किन्तु वह नहीं मानी इसीलिए उसने उस को मौत के घाट उतार दिया । पोलिस ने पूछा कि इस सब में उस बेचारी बच्ची का क्या कसूर था जिसे तुमने बड़ी बेरहमी से मार डाला , तुम्हें तनिक भी दया नहीं आई। कितनी मासूम बच्ची थी ? एक बार के लिए भी तुम्हारे दिल ने तुम्हें नहीं रोका । जिस बच्ची को तुमने अपनी गोद में खिलाया पालपोसकर बड़ा किया उसका कत्ल करते हुए तुम्हे उस पर तनिक भी दया नहीं आई ? मोहनलाल ने बताया कि वह बच्ची को मारना नही चाहता था। इसीलिए उसने बच्ची को नदी से पानी लाने के लिए भेज दिया था किन्तु बच्ची पानी लेकर जल्दी लौट आई और उसने उसे उसकी माँ का कत्ल करते हुए देख लिया। उसे डर था कि बच्ची बाहर जाकर उसकी माँ के कत्ल के बारे में घरवालों को बता देगी । इसीलिए उसने बच्ची को भी मार डाला। मोहन लाल ने पोलिस को बताया कि वह पत्नी और बेटी का कत्ल करके उस स्त्री के पास गया जिससे वह प्रेम करता था किन्तु उसने उसे अपने घर से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया । जिस प्रेम प्रसंग की खातिर उसने अपनों का कत्ल किया था, उसी ने उसे अपनाने से इन्कार कर दिया । वाह ! रे ईश्वर तेरा न्याय ।
जब गाँववालों को इस बात की खबर मिली कि मोहनलाल ने ही अपनी पत्नी और बेटी का कत्ल किया है तो वे लोग यह सुनकर सन्न रह गए । उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सीधा-साधा दिखने वाला मोहनलाल इतनी नीचता का कमा भी कर सकता है। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई बाप ऐसा भी कर सकता है। जब उसके परिवार वालों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्हें भी इस बात पर विश्वास नहीं हुआ किन्तु जब उनके सामने सच्चाई आई तो उन्हें विश्वास हुआ । मोहलाल ने न केवल अपनी पत्नी और बेटी का खून किया, उसने खून किया है मानवता का, अपनो के विश्वास का,भरोसे का, रिश्तों का । वाह ! रे दुनिया । रामू का हँसता -खेलता परिवार बिखर चुका था । जिस पिता ने कभी बच्चों को अपनी अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया आज उसी ने उनका सब कुछ छीन लिया । जिस पिता ने पर कभी बच्चों को गर्व हुआ करता था आज उसके नाम और शकल से भी उन्हें नफरत हो गयी है। नफरत करे भी तो क्यों न? उनकी खुशियों को ग्रहण लगाने वाला कोई और नही बल्कि स्वयं उनका ही पिता है । माँ की ममता का आँचल उनके सिर से हटाने वाला और कोई नहीं स्वयं उनका पिता ही तो है।
दो कत्ल करने के जुर्म मे मोहनलाल को आठ साल की कैद हो गई । यहाँ उसका परिवार अपने आप को उस दुख से निकालने की कोशिश में लगा था । अपने आप को सभाल रहा था । क्या करें जीवन है जीना तो है, चाहे हँस कर जीएं या रोकर , जीना तो हर हाल में होगा। पिता के एक अपराध ने रामू की जवानी को समय से पहले ही नष्ट कर दिया । हँसता -खिलखिलाता रामू परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले दब चुका है। उसके कांधो पर परिवार और दो बहनों की बड़ी जिम्मेदारी है। समय से पहले ही वह अपनी उम्र से ज्यादा दिखने लगा है। वह अपने आप को उस घटना से बार-बार बाहर निकालना चाहता है लेकिन क्या करे... वह जितना उस मनहूंस घटना को भूलना चाहता है वह उतना ही उसमे धंसता चला जाता है। माँ के आँचल की छाया उसे हर पल महसूस होती है पर माँ है कि चाहकर भी अपने लाल को .........। बार-बार वह उस अंतिम दिन को याद करता है जब वह बैलों को लेकर खेतो पर जा रहा था तब माँ ने आकर छाछ और गुड़ खिलाकर उसके सिर पर प्यार भरा हाथ फेरा था, उसे विदा किया था, और पछताता है कि उस दिन यदि छोटी बहन को वहाँ रुकने के लिए न कहता तो शायद आज वह जीवित होती । अपनी छोटी बहन की मौत के लिए वह अपने आप को ही दोषी मानता है बार -बार यही कहता है कि अगर मैं उस दिन उसे अपने साथ ले जाता तो आज वह जीवित होती .........।उसका हँसता परिवार तबाह हो गया लेकिन रामू ने कभी जीवन में हार नहीं मानी । उसने अपने बिखरे परिवार को संभाला और एक मुखिया की तरह घर की बागडोर अपने हाथों में संभालते हुए अपने कर्तव्यों को पूरा किया कदम-कदम पर अपनी खुशियों का बलिदान कर, अपने परिवार को खुश रखने का प्रयत्न करता रहा । माँ-बाप के न होते हुए भी उसने कभी अपनी बहनों को अपने से अलग नहीं समझा । वक्त आने पर दोनों बहनों का विवाह सुयोग्य वर से किया। आज उसकी दोनों बहने अपनी ससुरालो में सुखी जीवन बिता रही हैं और रामू अपने परिवार के साथ खुश और सुखी जीवन बिता रहा है। जो जख्म उसे अपनों ने दिया है उसे वह कभी भूल तो नहीं सकता। जीवन में सुख-दुख आते हैं । इसी का नाम तो जीवन है।

3 comments:

  1. hi sir,
    sahi hai jivan ose kahte hai jisme sukh aur dukh ka mel hote hai. jivan me sukh aur dukh dono swabhavik hai. manav ko dono pakshom ko apnana padhta hai.
    lekin sir es kavita me pita ne itna krorta se vyavahar kiya jo kabhi nahi soch sakte hai. pita hokar apne patni aur beti donom ko kaise katl kar sakte hai. sochne ke liye hi bahut kathin lag rahi hai...
    ravali

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  2. aap asal zindagee kee kahanee usee kee bhasha men kahte hain , yah achchha lagta hai.

    lekin kya yah naheen ho sakta ki lekhak ko lekhak hee rahne den, adhyapak na banaaen.

    badhaaee.

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  3. Superb!!! Awsome!! Great Work

    Best Wishes
    Amit Anuraag

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