पूरे एक साल के बाद
गणेश चतुर्थी का दिन फिर से आया| पूरे शहर ने बड़े-बड़े पंडालों का निर्माण किया गया
है| इन्हीं पंडालों में गणेश जी की मूर्तियों
को बिठाया जाएगा| सुबह से ही भक्त उन्हें अपने-अपने घर ले जाने लगे| मूर्ती की
आँखों पर नया रुमाल बाँध दिया और ले कर चल दिए| धीरे-धीरे शाम होने लगी गणेश जी
की पूजा का शोर शहर में चारों ओर फैलने लगा| बाज़ारों की चकाचौंध और घरों की साज सजावट देखकर गणेश जी बहुत
प्रसन्न थे| पहला दिन तो उनकी पूजा आराधना में निकल गया| जैसे ही दूसरी रात का आलम
देखा वैसे ही गणेश जी का क्रोध सातवें आसमान पर पहुँच गया| गणेश जी को क्रोध में
देखकर मूषक राज ने उन्हें शांत रहने की गुहार लगाई| जैसे-तैसे करके उसने गणेश जी को शांत किया और
बताया कि वे यहाँ पर दस दिन के मेहमान हैं| अब तो उन्हें यह सब देखना और सहना ही
होगा|मूसक की बातें सुनकर
गणेश जी थोड़ा मुस्कुराए और बोले, हाँ मूषक यह सब तो मुझे देखना ही है ...पर क्या
संसार में बस यही सब देखना बाकी है|
सुनकर गणेश जी की
बातें मूषक भी मुस्कराया और बोला – प्रभु यह तो कुछ नहीं, यह तो सिर्फ फिल्म का एक सीन है अभी पूरी फिल्म तो बाकी है| आज तो पंडालों में
सिर्फ आपने रीमिक्स गाने सुने हैं| अभी तो न जाने इन दस दिनों में क्या–क्या देखना
और सुनना बाकी है| इसी तरह तीसरा दिन भी आया भक्तों ने सुबह की आरती की और भोग
चढ़ाया| धीरे-धीरे दिन का सूरज ढल गया| धीरे-धीरे रात का अँधेरा चारों तरफ फैल गया|
गणेश पंडालों के पास चहल-पहल बढ़ चुकी थी| भक्तों की भीड़ को देखकर गणेश जी खुश थे
सोच रहे थे कि आज की शाम उनके भक्त किसी कीर्तन का आयोजन करने वाले हैं| भजन
कीर्तन की जगह जब मुन्नी बदनाम होने लगी
और शीला की जवानी चढ़ने लगी के संगीत को सुनकर गणेश जी को मूर्छा आने लगी| किसी तरह
मूषक राज ने उन्हें सँभाला| होश में आते ही वे मूषक राज से “बोले क्या भक्तों ने
मुझे यही सब देखने और सुनाने के लिए बुलाया है?”
गणेश जी की बातों को
सुनकर मूषक कुछ मुस्कुराकर बोला “प्रभु
आज तो सिर्फ संगीत ही सुना है आगे –आगे देखिए होता है क्या....? दोनों की बातों के
बीच जोर से चीखने की आवाज सुनाई दी|
गणेश जी थोड़ा घबराकर मूषक से बोले
लगता है हमारा कोई भक्त मुसीबत में है? गणेश जी की बातें सुनकर मूषक ने मुस्कुराते हुए
उन्हें बताया प्रभु आपके भक्त पर संकट नहीं यह तो देवलोक में शम्मी कपूर की आत्मा
है| जो यहाँ के संगीत को सुनकर देवलोक में भी नाचने लगा है| तीसरे दिन की शाम भी किसी
न किसी तरह बीती|
इसी तरह एक दिन बीता
दो दिन बीता, बीते गए चार पाँच दिन| आज सातवाँ दिन है| सुबह से पंडाल के लोगों के
इलाके के नेता का इंतजार है| आज तो गणेश जी को भोग भी तभी लगेगा जब नेता जी का
पदार्पण होगा| आज नेता जी का हाल ना पूछो| ए. सी कमरे में बैठे संगीत का लुत्फ उठा
रहे थे| जब कमरे में आकर सेवक ने सूचना दी तो उन्हें याद आया| आज रात गणेश जी का
भोग उन्हें ही तो लगाना है| आठ बजे का कार्यक्रम तय हुआ था| नेता जी अपनी व्यस्तता
का हवाला देते हुए नौ बजे जा पहुँचे| इस देश में इन्सान तो इन्सान भगवान को भी
नेताओं का इंतजार करना पड़ता है| आज उनकी अनुकंपा से ही गणेश जी को रात्री भोग नसीब
होगा...., उनके द्वारा शुरू की गई आरती के बाद ही अन्य कार्यक्रम होंगे|
आज सुबह से ही गणेश
जी बहुत खुश हैं| अब तो अपने घर जाने का एक दिन ही शेष बचा है| आज की रात शांति से निकल जाए बस ...| शाम होते-होते
बड़े-बड़े- लाउड स्पीकर स्पीकरों की कतारों को देखकर गणेश जी ने मूषक राज से पूछा –
लगता है आग यहाँ पर बड़ा सत्संग होने वाला है| जैसे-जैसे रात होने लगी वैसे-वैसे
एक-एक कर लोगों की भीड़ जमाँ होने लगी| कुछ ही देर में जब गणेश जी की आरती शुरू हुई
यह देखकर वे बहुत खुश हो गए| उन्हें लगा चलो कम से कम जाने से पहले ही सही मनुष्य
ने कुछ सही काम किया| तभी गणेश जी की नजर मंच पर आधे वस्त्रों में सुसज्जित स्त्री पर गई| उसे अपनी तरफ आते देखकर
गणेश जी घबराए और मूषक से बोले लगता है जल्दी-जल्दी में यह भक्त अपना दुपट्टा घर
पर ही भूल आई| आकर उसने उन्हें नमन किया और नृत्य के लिए तैयार हुई| गणेश जी को
लगा कि किसी भी कार्यक्रम को शुरू करने से पूर्व सभी लोग उनकी वंदना करते हैं तो
यह भी वही कर रही होगी| यह सोचकर वे बहुत प्रसन्न थे लेकिन ... जैसे ही गाने की
धुन ‘चिकनी चमेली’ सुनते
ही गणेश जी का क्रोध सातवें आसमान पर जा पहुँचा| गणेश जी को क्रोधित होता देखकर
मूषक ने बात किसी तरह संभाली| अब तो जो नाच का सिलसिला चला एक के बाद एक ठुमके
लगे| लग रहा था मानो गणेश पंडाल नहीं किसी की शादी का रिसेप्सन हो रहा है| आखिर
किसी न किसी तरह वह भयानक रात भी बीती|
आज तो गणेश जी सुबह
से ही खुश हैं| आज उन्हें घर जो जाना है| लेकिन अचानक उनकी खुशी एक चिंता में बदल
गई| मूषक राज ने गणेश जी को उदास देखा तो पूछ लिया “ प्रभु आपकी उदासी
का क्या कारण है”?
मूषक की बात सुनकर गणेश जी बोले–पता नहीं आज फिर मुझे विसर्जित होने के लिए साफ जल
नसीब होगा कि नहीं? या फिर उसी गंदगी भरे नाले में मुझे नाक
बंद करके डुबकी लगानी होगी? मूषक ने उन्हें समझाया कोई बात नहीं बस
दो मिनिट की ही तो बात है, नाक बंद करके आप जल समाधि ले लेना उसके बाद तो फिर एक
साल की बारी गई| अगले साल की अगली साल सोचेंगे| तभी मूषक राज को ख्याल आया उसने
गणेश जी ने निवेदन किया प्रभु अगर आप आज्ञा दें तो मैं आपसे कुछ कहूँ| गणेश जी ने
उसे बोलने की आज्ञा दी| मूषक ने कहा कि क्यों न इस गंदे पानी की समस्या को इंद्र
देव के सामने रखें| अगर वे चाहें तो कुछ ही मिनिटों में वर्षा से इस गंदगी को
स्वच्छता में बदल सकते हैं| मूषक की बातें
सुनकर गणेश जी मुस्कुराए और बोले तुम्हारा विचार तो सही है लेकिन क्या तुमने सोचा
है कि इस बिन मौसम की बरसात से मेरे गरीब भक्तों को कितनी परेशानी होंगी, जिनकी
सच्ची भक्ति है मुझ में उन्हें परेशानी होगी| गणेश जी की बातें सुनकर मूषक राज ने
कहा ‘धन्य हैं प्रभु आप.......इसी लिए तो विघ्नहर्ता हैं आप..’| मूषक की बातें
सुनकर गणेश जी मंद-मंद मुस्कुराए और शांत मुद्रा में बैठ गए| जैसी कि उन्हें आशंका
थी इस बार भी भक्त उन्हें उसी गंदे पानी में विसर्जित करेंगे वैसा ही हुआ| इस बरस
सब की मनोकामनाओं को पूरा करके वे अपने घर चले गए|
जाते- जाते एक
समस्या की को ध्यान दिलाते गए कि इस संसार में ऐसी गंदगी कब तक ....? जिस पानी में
व्यक्ति अपना हाथ नहीं डाल सकता उस में अपने इष्ट देव को कैसे विसर्जित कर सकता
है| अगर व्यक्ति आज भी इस समस्या के प्रति नहीं जागा तो हो सकता है निकट भविष्य
में उसे और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पद सकता है|
सहजता से कही एक गंभीर और विचारणीय बात .....
ReplyDeleteधन्यवाद . डॉ मोनिका जी,
ReplyDeleteनमस्कार शिवकुमार जी
ReplyDeleteसर्वप्रथम आपको इस रचना के लिए हार्दिक बधाई। आपकी यह रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
आपसे अनुरोध हैं कि ऐसी अच्छी रचनायें कृपया अपने ब्लॉग पर डालते रहे, ताकि आपके पाठकगण आपकी रचनाएँ पढने के लिए बोल उठे। ।आ अब लौट चले ,,,,,,, शिवजी के ब्लॉग पर :-)
धन्यवाद्
आपके नियमित पाठक
अमित अनुराग हर्ष
Sateek baat...... Bahut sundar.
ReplyDeleteनमस्ते सर जी,
ReplyDeleteआज आप की यह रचना याद आ गई... अति सुन्दर रचना..
धन्यवाद
अमित अनुराग हर्ष