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Monday, February 14, 2011

तेरी महफिल

तेरे साथ हम तेरी महफिल तक जा पहुँचे,
दिल का गम छिपाकर तेरी महफिल में जा बैठे।
     दुनिया की नजरों से बचकर तेरे साथ हम मैखाने में जा बैठे,
     मय के दो प्यालों के साथ हमें वहाँ से लौटना पड़ा
     तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

साथ तेरा पाकर हमने लुफ्त खूब उठाया 
रात गहरी होने लगी तनहाइयाँ बढ़ने लगी
हमें साथ तेरे खाली हाथ लौटना पड़ा
तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

  मैखाने में अगर हमें देख ले कोई ,यूँ तीखी नज़रों से
  अब तो अंगुलियाँ जमाने की हम पर उठने लगी
  तेरी खातिर हमें वहाँ से यूँ खाली हाथ लौटना पड़ा
  तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

महफिल चाँद सितारों सी सजी थी, चाँद अपनी जवानी में था
चेहरा न नजर आया यार का ,हमें खाली हाथ लौटना पड़ा
तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

31 comments:

  1. नमस्ते शिव कुमार जी,
    हमेशा की तरह आप की रचना दिल को भा गयी..
    शुभकामनाएं
    अनुराग अमित

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  2. एक बेहतरीन कविता
    राधिका

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  3. आपकी कविता अच्छी लगी..
    शुभांगी

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  4. कहानी कविताओ को पढने का शौक तो कभी नहीं था , लेकिन आपकी कहानियो और कविताओ को जरूर पड़ना चाहूँगा..आपकी कविता "तेरी महफ़िल" बहुत पसंद आई..

    शुक्रिया
    तन्मय तिवारी

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  5. तेरे साथ हम तेरी महफिल तक जा पहुँचे,
    दिल का गम छिपाकर तेरी महफिल में जा बैठे।

    wah ji kya baat hai dil chu lene wali kavita

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  6. सुन्दर प्रस्तुति..

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  7. ‘चाँद अपनी जवानी में था
    चेहरा न नजर आया यार का’

    तो क्या हुआ... चांद सा चेहरा है तो चांद को देख लो :)

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  8. I liked your way of putting thoughts..Indeed a good poem

    Thanks Sachin Mohite

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  9. बहुत सुंदर रचना धन्यवाद

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  10. एक बेहतरीन कविता

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  11. वाह वाह...
    जो चाँद आपने देखा, अरे हाँ भाई साहब वही चाँद जो अपनी जवानी पे था. क्या आप sure हैं कि वो आपका यार नहीं चाँद ही था????? बताइए.....
    मस्त लिखा है...

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  12. .शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

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  13. मैखाने में अगर हमें देख ले कोई ,यूँ तीखी नज़रों से
    अब तो अंगुलियाँ जमाने की हम पर उठने लगी .....
    nice...........

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  14. very good poem

    Thanks & Regards
    Shailesh Patil

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  15. waiting for your next write up

    shailesh

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  16. सुशांत जी ,
    अनुराग अमित जी ,
    राधिका जी ,
    शुभांगी जी
    तन्मय जी ,
    आलोक जी ,
    भूषण जी ,
    कैलाश जी ,
    चंद्रमौलेश्वर जी ,
    उपेन्द्र जी ,
    सचिन जी ,
    राज भाटिया जी ,
    सम जी ,
    राजेशकुमार जी ,
    संजय जी ,
    भाकुनी जी ,
    मिथिलेश जी ,
    शैलेश जी ,
    संजय झा जी
    आप सभी ने अपना कीमती समय कविता पढने के लिये निकला आप सभी का बहुत -बहुत धन्यवाद् .

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  17. your poem has a very deep feeling...

    Thanks
    Puspak

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  18. ek sundar kavita..padh kar kafi achchha laga..


    dhanyawad
    Girish

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  19. सुन्दर शब्दों से सजी कविता

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  20. वाह जी आप तो कविता भी अच्छी लिख लेते हैं ! बधाई.

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  21. महफिल चाँद सितारों सी सजी थी, चाँद अपनी जवानी में था
    चेहरा न नजर आया यार का ,हमें खाली हाथ लौटना पड़ा
    तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

    waah bahut khoobh

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  22. उनकी महफ़िल में रहे आप और खामोश भी । खली हाथ आपका लौटना उदास कर गया ।

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  23. शिवा जी...बहुत बढ़िया रचना है। बेहद पसंद आई।

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