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Monday, February 14, 2011

तेरी महफिल

तेरे साथ हम तेरी महफिल तक जा पहुँचे,
दिल का गम छिपाकर तेरी महफिल में जा बैठे।
     दुनिया की नजरों से बचकर तेरे साथ हम मैखाने में जा बैठे,
     मय के दो प्यालों के साथ हमें वहाँ से लौटना पड़ा
     तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

साथ तेरा पाकर हमने लुफ्त खूब उठाया 
रात गहरी होने लगी तनहाइयाँ बढ़ने लगी
हमें साथ तेरे खाली हाथ लौटना पड़ा
तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

  मैखाने में अगर हमें देख ले कोई ,यूँ तीखी नज़रों से
  अब तो अंगुलियाँ जमाने की हम पर उठने लगी
  तेरी खातिर हमें वहाँ से यूँ खाली हाथ लौटना पड़ा
  तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।

महफिल चाँद सितारों सी सजी थी, चाँद अपनी जवानी में था
चेहरा न नजर आया यार का ,हमें खाली हाथ लौटना पड़ा
तेरे साथ तेरी महफिल में हमें बैठना पड़ा ।